तेरा सूट तितली ने पहना हुआ था
मुझे क्या पता बाढ़ में कौन डूबा
मैं कश्ती बनाने में डूबा हुआ था
मैं शायद उसी हाथ मे रह गया हूँ
वही हाथ जो मुझसे छूटा हुआ था
तुम्हे देखकर कुछ तो भूल हुआ हूँ
अरे याद आया मैं रूठा हुआ था...
आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
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