Friday, June 12, 2020

औरत एक घनेरी सी रात है

औरत एक घनेरी सी रात है
उसके जहन में छुपी कई बात है
यह किसी से कहती नहीं
चुपचाप अकेले सब सेहती है
औरत का जीवन नहीं आसान है
कुछ लोगों में सिमटा उसका एक छोटा सा जहान है

कितनी तकलीफे है उसको
कभी उससे उसका हाल तो पूछो
वो कैसे जीती है
कभी तो सोचो

खिलना चाहती है वो
नए नए लोगो से मिलना चाहती है
अहम सा इसका किरदार है
फिर भी इसके लिए ही अनेकों परम्पराओं की दीवार है

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