एक दिन सुन लीजिए जो कुछ हमारे दिल में है
- जोश मलीहाबादी
कश्ती चला रहा है मगर किस अदा के साथ
हम भी न डूब जाएं कहीं ना-ख़ुदा के साथ
- अब्दुल हमीद
ग़म-ए-दुनिया भी ग़म-ए-यार में शामिल कर लो
नश्शा बढ़ता है शराबें जो शराबों में मिलें
- अहमद फ़राज़
क्यूं मांग रहे हो किसी बारिश की दुआएं
तुम अपने शिकस्ता दर-ओ-दीवार तो देखो
- जाज़िब क़ुरैशी
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