ये मिट्टी की खुशबू, वतन देख लेना
कमाने से जो तुमको फुर्सत मिले तो
पलटकर तुम उजड़ा चमन देख लेना
मुझे देखना है तो जी भर के देखो
मगर आँसुओं की तपन देख लेना
छलकते हुए जाम के बीच साकी
महकता हुआ गुलबदन देख लेना
सफ़र में जो तन्हा कभी हो अकेले
तो प्यारी सी पहली छुअन देख लेना
जो एहसास योगी कराना हो ख़ुद का
तो पहले ये फैला गगन देख लेना
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