Wednesday, June 17, 2020

देख लेते हैं तो फिर , एहतराम करते हैं

देख लेते हैं तो फिर , एहतराम करते हैं i
हर हंसीन को तहे-दिल से सलाम करते है॥

ख़ाने-दिल है ये उजड़ा हुवा दयार नहीं
मेहमां बनते जो बरसों मक़ाम करते हैं ॥

वो कहे रात को दिन हो भी सके कि मुमकिन हैं ।
चराग सुबहा की गाज़ी में शाम करते हैं ॥

मेरी ना हो कभी उनसे अरे ख़ुदा न करे ।
फैसले ऐसे ही अहले निज़ाम करते हैं ॥

हम नये रिंद नहीं जो ना कहें किनारा करें I
निगाहे यार से तस्लीमे ज़ाम करते है ॥

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