Wednesday, June 17, 2020

तोड़ो न आसरा दिल-ए-उम्मीद-वार का

कुछ कह दो झूट ही कि तवक़्क़ो बंधी रहे
तोड़ो न आसरा दिल-ए-उम्मीद-वार का
- अज्ञात

ख़ंजर चले किसी पे तड़पते हैं हम 'अमीर'
सारे जहां का दर्द हमारे जिगर में है
- अमीर मीनाई

अपना लहू भर कर लोगों को बाँट गए पैमाने लोग
दुनिया भर को याद रहेंगे हम जैसे दीवाने लोग
- कलीम आजिज़

हम को यारों ने याद भी न रखा
'जौन' यारों के यार थे हम तो
- जौन एलिया



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