Friday, June 26, 2020

कुछ मेरी भी सुनती जाओऔर कुछ अपने सवाल कहो

तुम कैसी हो कुछ हाल कहो

कुछ मेरी भी सुनती जाओ
और कुछ अपने सवाल कहो

अब मिले हो कितने सालों बाद
कैसे गुज़रे ये साल कहो

मेरे भी दिल की कुछ सुन लो
कुछ अपने भी हालात कहो

रहने दो ज़ुल्फों को यूँ ही
तुम ऐसे ही सब बात कहो

तुम देखो मत मेरी आँखों में
बस ज़रा अपनें जज़्बात कहो

थोड़ा तकल्लुफ तो लाज़िम है
पर बार बार मत आप कहो

अब भी बिल्कुल वैसे ही हो
इसका भी कुछ राज़ कहो

क्या याद तुम्हे अब भी है वो
अपनी पहली मुलाकात कहो

अपने मौसम का प्यारा सावन
अपनी भीगी बरसात कहो

क्या भूल चुकी हो अपना माज़ी
या याद तुम्हें है हर बात कहो

वो पिक्चर जो हमने देखी थी
वो पार्क वो कैफे वो शाम कहो

वो मेरे स्कूटर की पिछली सीट
वो मेरे कन्धों पर हाथ कहो।

खत वो सारे जो तुमको लिखे
सूखे हुए वो गुलाब कहो।

मैं तो वही पुराना सा हूँ
फिर खड़े हो क्यूँ चुपचाप कहो।

तुम क्यों झिझक रही हो मुझसे
जो कहना है बेबाक कहो।

शिकवा कोई अगर मुझसे है तो
अपने दिल की भड़ास कहो।

इतने सालों में इक भी बार
क्या आई मेरी याद कहो।

मैं तो तुम्हे अब तक न भूला
तुम भी करती हो क्या याद कहो।

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