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आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
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असुलझे सवालों सी हो गयी है ज़िन्दगी।
नज़र भर देख लूँ तुम्हें तो
बारिश शायरी
अमृता प्रीतम की प्रेम कविता: ऐ मेरे दोस्त ! मेरे अ...
हरिवंशराय बच्चन की कविताएँ
मेरा दिन बीत जाता है।
नतीजा शायरी
आसान शायरी
वो फूल खिल के रहेंगे जो खिलने वाले हैं
घटा शायरी
शाख़ें रहीं तो फूल भी पत्ते भी आएँगे
हम मैकदे की राह से होकर गुज़र गए
कुछ मेरी भी सुनती जाओऔर कुछ अपने सवाल कहो
हंसी छुपा भी गया और नज़र मिला भी गया
जी चाहता है मैं तिरी आवाज़ चूम लूं
गोपाल दास नीरज के 10 चुनिंदा शेर
मैं उतना याद आऊंगा मुझे जितना भुलाओगे।
तेरे इश्क में कशिश हैकुछ इस तरह की जाना
प्यार का पहला ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है
चलूं कि जागा हुआ रात भर का मैं भी हूं
मैं क्या बताऊँ मेरा कहीं और ध्यान है...
उस के पहलू से लग के चलते हैं
मैं शायद उसी हाथ मे रह गया हूँ
अपनी बदनसीबी की सबसे सख़्त सज़ा
कम-बख़्त फिर भी चैन न पाए तो क्या करूं
बदलता हुआ मौसम शायरी
सफ़र के बाद भी मुझ को सफ़र में रहना है
मैं समंदर हूँ कभी अधूरी प्यास नहीं रखता
सोचता हूँ कभी कागज़ों में समेट लूँ तुम्हें
लोग औरत को फ़क़त जिस्म समझ लेते हैं...
मुसाफिर हूँ मैं रुकना जनता ही नहीं
जो अपने आप को तुमने हमारा कर दिया होता
तुम भी मुझ पर कुछ लिखो ना
ये हमारी आखिरी मुलाकात है क्या?
तू क्यों रात भर सोई नहीं
एक तस्वीर जो मुस्कुराएँ जा रही हैं
तुम क्या जानो कि दर्द क्या होता है,
ज़िन्दगी रेत सी हो गई है!
एक तेरी खुशी के ख़ातिर हम
महसूस हो रही है ख़ुद अपनी कमी मुझे
जीवन का आगाज
झूट पर उस के भरोसा कर लिया
जीवन का आगाज
इल्म है एक तहज़ीब शायरी
खुद को सँवारकर देखिये,
खुद को सँवारकर देखिये,
कहने की थी जो बात वही दिल में रह गई
फ़ासला नज़रों का धोका भी तो हो सकता है
क्षमा शोभती उस भुजंग को
मोहब्बत सोज़ भी है साज़ भी है
एक दिन कह लीजिए जो कुछ है दिल में आप के
फेंक जहां तक भाला जाए
अब उसे हमारी याद आती नहीं होगी
देख लेते हैं तो फिर , एहतराम करते हैं
मुझसे नफरत ही सही पर जताने आ जाओ
दोस्ती में मिले धोखे पर शायरी
तन्हाई के खौफ़ से जो शख्स मर गया .....
जाने किसकी अमानत है , ये जो धड़कती है सीने में
तोड़ो न आसरा दिल-ए-उम्मीद-वार का
यूँ जुल्फें न बाँधा करो तुम
करीब शायरी
हमसे तेरे ये तक़ाज़े नहीं झेले जाते..
इश्क़ मंज़िल ही मंज़िल है रस्ता नहीं
आग़ाज़-ए-मोहब्बत का अंजाम बस इतना है
मुहब्बत की दिल में चुभन देख लेना
पानी में अक्स और किसी आसमाँ का है
चले भी आओ कि गुलशन का कारोबार चले व अन्य
उस सितमगर की मेहरबानी से: गुलज़ार देहलवी
कोई फ़रियाद तिरे दिल में दबी हो जैसे
रात दिन शायरी
वो मुलाकात के पल
कई वर्ष लग जाते है जीवन के ,
औरत एक घनेरी सी रात है
मैं ख़ुद भी सोचता हूं ये क्या मेरा हाल है
तेरा होना भी नहीं और तिरा कहलाना भी
शकील बदायूंनी गजलें
ऐसे में क्यों न कोई मौसमी गुनाह हो।
टूटकर दिल के अरमान बदल जातें हैं।
नसीब शायरी
मोहब्बत सोज़ भी है साज़ भी है
किनारा शायरी
ये ज़रूरी है कि आँखों का भरम क़ाएम रहे
वसीम बरेलवी शायरी
चलते हुए पांव, अक्सर लड़खड़ाते हैं
आँख के आसुओ को पलको पे न रहने दो ।
इल्म शायरी
हर अदा अच्छी ख़मोशी की अदा अच्छी नहीं
तुम दूर हो तो प्यार का मौसम न आएगा
आंखें ढूंढती रहती दिलों की आती आहट को,
थोड़ा सा खुद के बारे में
इरादा नहीं बदलते हम
बात करते हैं कुछ उन दिनों की,
घर से बाहर का दुख
परंपरा को अंधी लाठी से मत पीटो
किसी को हम न मिले और हम को तू न मिला
आती नहीं नींद भी, उनके चले जाने के बाद ।
मेरी शरारत पर जब तुम मुस्कराते हो।
जिंदगी जीना क्या इतना आसान है?
राह में रोका और रोने लगे
ज़िंदगी शायरी 4
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Monday, June 1, 2020
न वो मेरे हैं न उनके रहे हम
न खुशियों की खुशी न गमों का गम
न आँखों में आँसू न जमीं पर शबनम
दिखावे भरे हैं सारे रिस्ते जहाँ पर
न वो मेरे हैं न उनके रहे हम
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