Monday, June 1, 2020

मैं जागता हूँ तिरा ख़्वाब देखने के लिए

भंवर से लड़ो तुंद लहरों से उलझो
कहां तक चलोगे किनारे किनारे
- रज़ा हमदानी



हमें भी नींद आ जाएगी हम भी सो ही जाएँगे
अभी कुछ बे-क़रारी है सितारो तुम तो सो जाओ
- क़तील शिफ़ाई


मैं क्या करूँ मिरे क़ातिल न चाहने पर भी
तिरे लिए मिरे दिल से दुआ निकलती है
- अहमद फ़राज़

हर एक रात को महताब देखने के लिए
मैं जागता हूँ तिरा ख़्वाब देखने के लिए
- अज़हर इनायती

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