Friday, June 12, 2020

टूटकर दिल के अरमान बदल जातें हैं।

अपनी ही रूह के मकान बदल जाते हैं,
मौत के साथ जिस्म-ओ-जान बदल जातें हैं।।

राज़ चलता है यहाँ किसका सदा !
एक झटके में सुलतान बदल जातें हैं।

टूटे हुए सपनें संजोकर रखना है मुश्किल !
टूटकर दिल के अरमान बदल जातें हैं।

कल थे मंदिर में आज मस्ज़िद में !
चाहतों के लिए भगवान बदल जाते हैं।

हिन्दू क्या; मुसलमान बदल जातें हैं,
वक़्त के साथ सब इंसान बदल जातें हैं।

कहतें हैं कि बदलना है क़ुदरत का नियम,
हाँ ये धरती ये आसमान बदल जातें हैं।

और तो और अपने ही घर में, धीरे-धीरे,
घर के सब सामान बदल जाते हैं।

वक़्त के साथ दुनिया के हर तमाशे में,
देखनें वाले क़दरदान बदल जातें हैं।

इतना भी भरोसा न कर गैर पर 'दोस्त ',
चंद सिक्कों के लियें ईमान बदल जातें हैं।

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