जब भी मेरे जहन में आते हैं,
पूरा तन मचल सा जाता है।
जैसे पवन की ठंडी हवाओ से,
सिहर जाता है पूरा बदन।
वो लम्हें जब याद करती हूं,
तेरे-मेरे मुलाकात के,
मन में एक खुशी की लहर दौड़ जाती है।
होठों पे एक भीनी सी मुस्कुराहट छा जाती है।
नयन ख्यालों की दुनिया में विचरने लगते हैं,
कुछ नए ख्वाबो को बुनते हैं।
तेरे साथ इस मुलाकात के लिए,
न जाने कबसे तड़प रही थी मैं।
जब तू नजदीक आया मेरे,
मैं तो शर्म से पलके भी न उठा पाई,
एक पल तुझको निहारने के लिए।
वो पहली मुलाकात आज भी ,जहन में हैं मेरे।
जब तूने प्रथमतः मेरी कलाई को पकड़ा था,
तेरे उस एक प्रेमपूर्ण स्पर्श से,
मैं तो भावविभोर हो गई थी।
तेरे साथ उस मुलाकात की , बूंद के लिए ,
मैं तो न जाने कब से प्यासी थी,
पर जब तू आया समीप मेरे,
मेरी तृष्णा और भी बढ़ती चली गयी।
वो पल भर की मुलाकात ही सही,
मेरे लिये तो पुनः जीने की उम्मीद सी बन गयी।
वो कुछ लम्हों का मुलाकात ही सही,
मेरे एहसासो में सदा के लिये बस गयी।
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