Monday, June 15, 2020

करीब शायरी

मैं तेरे क़रीब आते आते
कुछ और भी दूर हो गया हूँ
- अतहर नफ़ीस


वो दौर क़रीब आ रहा है
जब दाद-ए-हुनर न मिल सकेगी
- अतहर नफ़ीस

डुबो के सारे सफ़ीने क़रीब साहिल के
है उन को फिर भी ये दावा कि ना-ख़ुदा हम हैं
- अज्ञात


तन्हाइयों में आती रही जब भी उस की याद
साया सा इक क़रीब मिरे डोलता रहा
- ज़हीर काश्मीरी

जो दूर रह के उड़ाता रहा मज़ाक़ मिरा
क़रीब आया तो रोया गले लगा के मुझे
- फ़रियाद आज़र


बहती रही नदी मिरे घर के क़रीब से
पानी को देखने के लिए मैं तरस गया
- इफ़्तिख़ार नसीम

जो अपने आप से बढ़ कर हमारा अपना था
उसे क़रीब से देखा तो दूर का निकला
- अक़ील शादाब


बहुत क़रीब से कुछ भी न देख पाओगे
कि देखने के लिए फ़ासला ज़रूरी है
- सलीम फ़ौज़

सुलग रहा है जो दिल वो भड़क भी सकता है
क़रीब आओ पर इतने क़रीब आओ मत
- शाहिद इश्क़ी


जब किसी को क़रीब पाओगे
ज़ाइक़ा अपना भूल जाओगे
- उम्मीद फ़ाज़ली

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