Saturday, June 27, 2020

शाख़ें रहीं तो फूल भी पत्ते भी आएँगे

शाख़ें रहीं तो फूल भी पत्ते भी आएँगे
ये दिन अगर बुरे हैं तो अच्छे भी आएँगे
- अज्ञात

हम को न मिल सका तो फ़क़त इक सुकून-ए-दिल
ऐ ज़िंदगी वगरना ज़माने में क्या न था
- आज़ाद अंसारी


अभी तो जाग रहे हैं चराग़ राहों के
अभी है दूर सहर थोड़ी दूर साथ चलो
- अहमद फ़राज़

अब तो चुप-चाप शाम आती है
पहले चिड़ियों के शोर होते थे
- मोहम्मद अल्वी

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