Wednesday, June 10, 2020

इल्म शायरी

इल्म में भी सुरूर है लेकिन 
ये वो जन्नत है जिस में हूर नहीं 
- अल्लामा इक़बाल

अक़्ल में जो घिर गया ला-इंतिहा क्यूँकर हुआ 
जो समा में आ गया फिर वो ख़ुदा क्यूँकर हुआ 
- अकबर इलाहाबादी

लफ़्ज़ ओ मंज़र में मआनी को टटोला न करो 
होश वाले हो तो हर बात को समझा न करो 
- महमूद अयाज़

वो तो साँसों ने शामें सुलगाईं
आदमी को ये इल्म ही कब था
- नवीन सी. चतुर्वेदी

ये इल्म का सौदा ये रिसाले ये किताबें 
इक शख़्स की यादों को भुलाने के लिए हैं 
- जाँ निसार अख़्तर

थोड़ी सी अक़्ल लाए थे हम भी मगर 'अदम' 
दुनिया के हादसात ने दीवाना कर दिया 
- अब्दुल हमीद अदम

हद से बढ़े जो इल्म तो है जहल दोस्तो 
सब कुछ जो जानते हैं वो कुछ जानते नहीं 
- ख़ुमार बाराबंकवी

आदमिय्यत और शय है इल्म है कुछ और शय 
कितना तोते को पढ़ाया पर वो हैवाँ ही रहा 
- शेख़ इब्राहीम ज़ौक़

हर अँधेरे में काम आएगा
इल्म का आफ़्ताब ले जाओ
- मीनाक्षी जिजीविषा

कभी इल्म की प्यास बन कर!
वो कूल्हे हिलाती थी हँसती थी
- नून मीम राशिद

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