ये वो जन्नत है जिस में हूर नहीं
- अल्लामा इक़बाल
अक़्ल में जो घिर गया ला-इंतिहा क्यूँकर हुआ
जो समा में आ गया फिर वो ख़ुदा क्यूँकर हुआ
- अकबर इलाहाबादी
लफ़्ज़ ओ मंज़र में मआनी को टटोला न करो
होश वाले हो तो हर बात को समझा न करो
- महमूद अयाज़
वो तो साँसों ने शामें सुलगाईं
आदमी को ये इल्म ही कब था
- नवीन सी. चतुर्वेदी
ये इल्म का सौदा ये रिसाले ये किताबें
इक शख़्स की यादों को भुलाने के लिए हैं
- जाँ निसार अख़्तर
थोड़ी सी अक़्ल लाए थे हम भी मगर 'अदम'
दुनिया के हादसात ने दीवाना कर दिया
- अब्दुल हमीद अदम
हद से बढ़े जो इल्म तो है जहल दोस्तो
सब कुछ जो जानते हैं वो कुछ जानते नहीं
- ख़ुमार बाराबंकवी
आदमिय्यत और शय है इल्म है कुछ और शय
कितना तोते को पढ़ाया पर वो हैवाँ ही रहा
- शेख़ इब्राहीम ज़ौक़
हर अँधेरे में काम आएगा
इल्म का आफ़्ताब ले जाओ
- मीनाक्षी जिजीविषा
कभी इल्म की प्यास बन कर!
वो कूल्हे हिलाती थी हँसती थी
- नून मीम राशिद
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