Thursday, June 11, 2020

ये ज़रूरी है कि आँखों का भरम क़ाएम रहे

सब से पुर-अम्न वाक़िआ ये है
आदमी आदमी को भूल गया
- जौन एलिया

कौन कहे मा'सूम हमारा बचपन था
खेल में भी तो आधा आधा आँगन था
- शारिक़ कैफ़ी

ये ज़रूरी है कि आँखों का भरम क़ाएम रहे
नींद रक्खो या न रक्खो ख़्वाब मेयारी रखो
- राहत इंदौरी

ज़िंदगी के हसीन तरकश में
कितने बे-रहम तीर होते हैं
- अब्दुल हमीद अदम

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