आदमी आदमी को भूल गया
- जौन एलिया
कौन कहे मा'सूम हमारा बचपन था
खेल में भी तो आधा आधा आँगन था
- शारिक़ कैफ़ी
ये ज़रूरी है कि आँखों का भरम क़ाएम रहे
नींद रक्खो या न रक्खो ख़्वाब मेयारी रखो
- राहत इंदौरी
ज़िंदगी के हसीन तरकश में
कितने बे-रहम तीर होते हैं
- अब्दुल हमीद अदम
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