धूप में जलते हैं तब साया बनता है
बड़े जतन से कोई अपना बनता है
सारे बिखरे ख़्वाब इकट्ठा करने पर
एक मुकम्मल तेरा चेहरा बनता है
घर के दोनों जानिब दर लगवाए हैं
अब तो तेरा दस्तक देना बनता है
प्यार करो तो एक ख़राबी ये भी है
हद दर्जे का यार तमाशा बनता है
उस का पहलू सिर्फ़ मयस्सर है मुझ को
या'नी मेरा इतना बनना बनता है
-अक्स समस्तीपुरी
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