Thursday, June 4, 2020

यक़ीं नहीं है तो कश्ती डुबा के देख

दूसरों पर अगर तब्सिरा कीजिए
सामने आईना रख लिया कीजिए
- ख़ुमार बाराबंकवी

थमते थमते थमेंगे आंसू
रोना है कुछ हंसी नहीं है
- बुध सिंह कलंदर

रख न आंसू से वस्ल की उम्मीद
खारे पानी से दाल गलती नहीं
- शेख़ क़ुद्रतुल्लाह क़ुदरत

अच्छा यक़ीं नहीं है तो कश्ती डुबा के देख
इक तू ही ख़ुदा नहीं ज़ालिम ख़ुदा भी है
- क़तील शिफ़ाई 

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