सामने आईना रख लिया कीजिए
- ख़ुमार बाराबंकवी
थमते थमते थमेंगे आंसू
रोना है कुछ हंसी नहीं है
- बुध सिंह कलंदर
रख न आंसू से वस्ल की उम्मीद
खारे पानी से दाल गलती नहीं
- शेख़ क़ुद्रतुल्लाह क़ुदरत
अच्छा यक़ीं नहीं है तो कश्ती डुबा के देख
इक तू ही ख़ुदा नहीं ज़ालिम ख़ुदा भी है
- क़तील शिफ़ाई
No comments:
Post a Comment