रोना चाहूँ जो तेरी याद लेकर , तो नैना मुझे रोकर भी रोने नहीं देते है।
बड़ी कश्मकश के साथ तेरे हवाले तो कर दिया है, ख़ुद को मैंने
मगर जाने क्या ख़्यालात है दिल में, जो मुझे तेरा होके भी तेरा होने नहीं देते है।।
आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
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