Friday, May 1, 2020

मौत शायरी

बला की चमक उस के चेहरे पे थी 
मुझे क्या ख़बर थी कि मर जाएगा 
- अहमद मुश्ताक़

अब नहीं लौट के आने वाला 
घर खुला छोड़ के जाने वाला 
- अख़्तर नज़्मी

रहने को सदा दहर में आता नहीं कोई 
तुम जैसे गए ऐसे भी जाता नहीं कोई 
- कैफ़ी आज़मी


कहानी ख़त्म हुई और ऐसी ख़त्म हुई 
कि लोग रोने लगे तालियाँ बजाते हुए 
- रहमान फ़ारिस

रोने वालों ने उठा रक्खा था घर सर पर मगर 
उम्र भर का जागने वाला पड़ा सोता रहा 
- बशीर बद्र

लोग अच्छे हैं बहुत दिल में उतर जाते हैं 
इक बुराई है तो बस ये है कि मर जाते हैं 
- रईस फ़रोग़
कौन जीने के लिए मरता रहे 
लो सँभालो अपनी दुनिया हम चले 
- अख़्तर सईद ख़ान

हमारी ज़िंदगी तो मुख़्तसर सी इक कहानी थी 
भला हो मौत का जिस ने बना रक्खा है अफ़्साना 
- बेदम शाह वारसी
वो जिन के ज़िक्र से रगों में दौड़ती थीं बिजलियाँ 
उन्हीं का हाथ हम ने छू के देखा कितना सर्द है 
- बशीर बद्र

ना-उमीदी मौत से कहती है अपना काम कर 
आस कहती है ठहर ख़त का जवाब आने को है 
- फ़ानी बदायुनी
उस गली ने ये सुन के सब्र किया 
जाने वाले यहाँ के थे ही नहीं 
- जौन एलिया

'अनीस' दम का भरोसा नहीं ठहर जाओ 
चराग़ ले के कहाँ सामने हवा के चले 
- मीर अनीस
शुक्रिया ऐ क़ब्र तक पहुँचाने वालो शुक्रिया 
अब अकेले ही चले जाएँगे इस मंज़िल से हम 
- क़मर जलालवी

बड़ी तलाश से मिलती है ज़िंदगी ऐ दोस्त 
क़ज़ा की तरह पता पूछती नहीं आती 
- शानुल हक़ हक़्क़ी
 

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