मुझे क्या ख़बर थी कि मर जाएगा
- अहमद मुश्ताक़
अब नहीं लौट के आने वाला
घर खुला छोड़ के जाने वाला
- अख़्तर नज़्मी
रहने को सदा दहर में आता नहीं कोई
तुम जैसे गए ऐसे भी जाता नहीं कोई
- कैफ़ी आज़मी
कहानी ख़त्म हुई और ऐसी ख़त्म हुई
कि लोग रोने लगे तालियाँ बजाते हुए
- रहमान फ़ारिस
रोने वालों ने उठा रक्खा था घर सर पर मगर
उम्र भर का जागने वाला पड़ा सोता रहा
- बशीर बद्र
लोग अच्छे हैं बहुत दिल में उतर जाते हैं
इक बुराई है तो बस ये है कि मर जाते हैं
- रईस फ़रोग़
कौन जीने के लिए मरता रहे
लो सँभालो अपनी दुनिया हम चले
- अख़्तर सईद ख़ान
हमारी ज़िंदगी तो मुख़्तसर सी इक कहानी थी
भला हो मौत का जिस ने बना रक्खा है अफ़्साना
- बेदम शाह वारसी
वो जिन के ज़िक्र से रगों में दौड़ती थीं बिजलियाँ
उन्हीं का हाथ हम ने छू के देखा कितना सर्द है
- बशीर बद्र
ना-उमीदी मौत से कहती है अपना काम कर
आस कहती है ठहर ख़त का जवाब आने को है
- फ़ानी बदायुनी
उस गली ने ये सुन के सब्र किया
जाने वाले यहाँ के थे ही नहीं
- जौन एलिया
'अनीस' दम का भरोसा नहीं ठहर जाओ
चराग़ ले के कहाँ सामने हवा के चले
- मीर अनीस
शुक्रिया ऐ क़ब्र तक पहुँचाने वालो शुक्रिया
अब अकेले ही चले जाएँगे इस मंज़िल से हम
- क़मर जलालवी
बड़ी तलाश से मिलती है ज़िंदगी ऐ दोस्त
क़ज़ा की तरह पता पूछती नहीं आती
- शानुल हक़ हक़्क़ी
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