Saturday, March 21, 2020

बीमार को मरज़ की दवा देनी चाहिए: राहत इंदौरी

बीमार को मरज़ की दवा देनी चाहिए 
मैं पीना चाहता हूँ पिला देनी चाहिए 

अल्लाह बरकतों से नवाज़ेगा इश्क़ में 
है जितनी पूँजी पास लगा देनी चाहिए 

दिल भी किसी फ़क़ीर के हुजरे से कम नहीं 
दुनिया यहीं पे ला के छुपा देनी चाहिए

मैं ख़ुद भी करना चाहता हूँ अपना सामना 
तुझ को भी अब नक़ाब उठा देनी चाहिए 

मैं फूल हूँ तो फूल को गुल-दान हो नसीब 
मैं आग हूँ तो आग बुझा देनी चाहिए 

मैं ताज हूँ तो ताज को सर पर सजाएँ लोग 
मैं ख़ाक हूँ तो ख़ाक उड़ा देनी चाहिए 
मैं जब्र हूँ तो जब्र की ताईद बंद हो 
मैं सब्र हूँ तो मुझ को दुआ देनी चाहिए 

मैं ख़्वाब हूँ तो ख़्वाब से चौंकाइए मुझे 
मैं नींद हूँ तो नींद उड़ा देनी चाहिए 

सच बात कौन है जो सर-ए-आम कह सके 
मैं कह रहा हूँ मुझ को सज़ा देनी चाहिए! 

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