Saturday, March 21, 2020

इक सफ़र है जो बहता रहता है

कोई आहट नहीं बदन में कहीं 
कोई साया नहीं है आँखों में 

पाँव बेहिस हैं चलते जाते हैं 
इक सफ़र है जो बहता रहता है

~ गुलज़ार

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