जिसे बुत बनाया ख़ुदा हो गया
- हफ़ीज़ जालंधरी
तू भी सादा है कभी चाल बदलता ही नहीं
हम भी सादा हैं इसी चाल में आ जाते हैं
- अफ़ज़ल ख़ान
दुश्मनों से प्यार होता जाएगा
दोस्तों को आज़माते जाइए
- ख़ुमार बाराबंकवी
आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
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