मज़ा जीने का ज़िन्दगी ही छीन लेगी, हमें इल्म न था।
ये क्या मर्ज़ बरपा है इलाही, हम इंसानों पर,
सज़ा भी इतनी बेरहम होगी, हमें इल्म न था।
दुआ यही है कि सबक़ तेरा सीख लिया हमने,
दुआ यही है, अब ये तूफान संभाल ले मौला।
दुआ यही है हम मोहताज हैं तेरी हमदर्दी के,
दुआ यही है सबकी कश्ती संभाल ले मौला।
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