Wednesday, March 25, 2020

ख़तरों' से सावधान करते शेर, शायरी

हाथ आँखों पे रख लेने से ख़तरा नहीं जाता 
दीवार से भौंचाल को रोका नहीं जाता 
-मुज़फ़्फ़र वारसी

तुम्हारे घर में दरवाज़ा है लेकिन तुम्हें ख़तरे का अंदाज़ा नहीं है
हमें ख़तरे का अंदाज़ा है लेकिन हमारे घर में दरवाज़ा नहीं है
- अज्ञात

आज शहरों में हैं जितने ख़तरे
जंगलों में भी कहाँ थे पहले
- अज़हर इनायती

ये हू का वक़्त ये जंगल घना ये काली रात
सुनो यहाँ कोई ख़तरा नहीं ठहर जाओ
- इरफ़ान सिद्दीक़ी

जिस के आग़ोश का हूँ दीवाना 
उस के आग़ोश ही से ख़तरा है 
-जौन एलिया

ख़तरे के निशानात अभी दूर हैं लेकिन
सैलाब किनारों पे मचलने तो लगे हैं
- निदा फ़ाज़ली
एक आँसू भी हुकूमत के लिए ख़तरा है
तुम ने देखा नहीं आँखों का समुंदर होना
- मुनव्वर राना

एक ख़तरा है आने जाने में
इस सरा में है दूसरा सा कुछ
-शाहीन अब्बास

बुझे चराग़ों की सरगोशियों में ख़तरा है
हवा भी कान लगा कर सुने चराग़ों को
- साइम जी
वतन को कुछ नहीं ख़तरा निज़ाम-ए-ज़र है ख़तरे में
हक़ीक़त में जो रहज़न है वही रहबर है ख़तरे में
- हबीब जालिब

तो क्या अब कुछ भी दर-पर्दा नहीं है
ये जंगल है तो क्यूँ ख़तरा नहीं है
- शीन काफ़ निज़ाम

मुझे पड़ाव में ख़तरा सफ़र से बढ़ कर है
कि राहज़न है मिरे कारवाँ के अंदर से
- सनाउल्लाह ज़हीर
 
सच को काग़ज़ पे उतरने में हो ख़तरा शायद
मेरी सोची हुई हर बात ज़बानी ले जा
- सुरेन्द्र शजर

ये कह के मुझे 'राज़' वो सोने नहीं देता
हर गाम पे ख़तरा है अभी जागते रहना
- राज़ इलाहाबादी

हर एक क़दम पर है यहाँ जान का ख़तरा
अब सोच समझ कर ज़रा बाज़ार से निकलें
- शायान क़ुरैशी
 
तूफ़ाँ का ख़तरा सुन के न कर ख़ौफ़ इस क़दर
आख़िर ख़ुदा की बात नहीं नाख़ुदा की बात
- असद मुल्तानी

तपिश में धूप के होती है क़द्र साए की
न हो जो मौत का ख़तरा तो ज़िंदगी क्या है
- असग़र वेलोरी

जान का ख़तरा तो है ही जाल भी कमज़ोर है
मछलियों के शौक़ में पानी मगर देखेगा कौन
- फ़ारूक़ रहमान

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