Sunday, March 22, 2020

सामने है जो उसे लोग बुरा कहते हैं

सुदर्शन फ़ाख़िर
सामने है जो उसे लोग बुरा कहते हैं
जिस को देखा ही नहीं उस को ख़ुदा कहते हैं

ज़िंदगी को भी सिला कहते हैं कहने वाले
जीने वाले तो गुनाहों की सज़ा कहते हैं

फ़ासले उम्र के कुछ और बढ़ा देती है
जाने क्यूं लोग उसे फिर भी दवा कहते हैं

चंद मासूम से पत्तों का लहू है 'फ़ाकिर'
जिस को महबूब की हाथों की हिना कहते हैं

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