चंद लफ़्ज़ों में कोई आग छुपा दी जाए
- जाँ निसार अख़्तर
हज़ारों शेर मेरे सो गए काग़ज़ की क़ब्रों में
अजब माँ हूँ कोई बच्चा मिरा ज़िंदा नहीं रहता
- बशीर बद्र
छुपी है अन-गिनत चिंगारियाँ लफ़्ज़ों के दामन में
ज़रा पढ़ना ग़ज़ल की ये किताब आहिस्ता आहिस्ता
- प्रेम भण्डारी
डाइरी में सारे अच्छे शेर चुन कर लिख लिए
एक लड़की ने मिरा दीवान ख़ाली कर दिया
- ऐतबार साजिद
अपने लहजे की हिफ़ाज़त कीजिए
शेर हो जाते हैं ना-मालूम भी
- निदा फ़ाज़ली
मुझ को शायर न कहो 'मीर' कि साहब मैं ने
दर्द ओ ग़म कितने किए जम्अ तो दीवान किया
- मीर तक़ी मीर
डाइरी में सारे अच्छे शेर चुन कर लिख लिए
एक लड़की ने मिरा दीवान ख़ाली कर दिया
- ऐतबार साजिद
ज़िंदगी भर की कमाई यही मिसरे दो-चार
इस कमाई पे तो इज़्ज़त नहीं मिलने वाली
- इफ़्तिख़ार आरिफ़
इश्क़ जिस से न हो सका उस ने
शायरी में अजब सियासत की
- सलीम कौसर
ग़ज़ल का शेर तो होता है बस किसी के लिए
मगर सितम है कि सब को सुनाना पड़ता है
- अज़हर इनायती
'असग़र' ग़ज़ल में चाहिए वो मौज-ए-ज़िंदगी
जो हुस्न है बुतों में जो मस्ती शराब में
- असग़र गोंडवी
कहीं कहीं से कुछ मिसरे एक-आध ग़ज़ल कुछ शेर
इस पूँजी पर कितना शोर मचा सकता था मैं
- इफ़्तिख़ार आरिफ़
जागीर अपनी शायरी पहले से थी मगर
इक उम्र जब रियाज़ किया साहिरी मिली
- साहिर होशियारपुरी
तुम्हारा 'नुशूर' और तुम्हारा तख़य्युल
मोहब्बत तुम्हारी तो शायर तुम्हारा
- नुशूर वाहिदी
कभी शराब कभी शायरी कभी महफ़िल
फिर इस के बाद धड़कता हुआ अकेला दिल
- जावेद नासिर
शायरी करते रहो लेकिन रहे इतना ख़याल
दुश्मनों से दोस्ती का हौसला बाक़ी रहे
- सरवर उस्मानी
शायर थे बंद एक सिनेमा के हाल में
पंछी फँसे हुए थे शिकारी के जाल में
- दिलावर फ़िगार
किसी खिड़की का शीशा भी नहीं टूटता
शायर अपना काम जारी रखते हैं मगर
- ज़ीशान साहिल
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