मगर इन एहतियातों से तअल्लुक़ मर नहीं जाता
- वसीम बरेलवी
वो मेरे घर नहीं आता मैं उस के घर नहीं जाता
मगर इन एहतियातों से तअल्लुक़ मर नहीं जाता
- वसीम बरेलवी
मगर इन एहतियातों से तअल्लुक़ मर नहीं जाता
- वसीम बरेलवी
अपने अपने घर जा कर सुख की नींद सो जाएँ
तू नहीं ख़सारे में मैं नहीं ख़सारे में
- सरवत हुसैन
ये जो मिलाते फिरते हो तुम हर किसी से हाथ
ऐसा न हो कि धोना पड़े ज़िंदगी से हाथ
- जावेद सबा
नहीं आती तो याद उन की महीनों तक नहीं आती
मगर जब याद आते हैं तो अक्सर याद आते हैं
- हसरत मोहानी
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