Thursday, March 26, 2020

हम परों से नहीं, हौंसलों से उड़ते हैं

कभी महक की तरह....हम गुलों से उड़ते हैं,
कभी धुंए की तरह.....पर्बतों से उड़ते हैं....
ये कैंचियां हमें उड़ने से ख़ाक रोकेंगी,
के हम परों से नहीं, हौंसलों से उड़ते हैं......

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