Sunday, March 22, 2020

Diary Apr'95


दुनिया की नज़र में मैं तेरा कुछ भी न सही,
जरा दिल में झाँक कर तो देख, कहीं मैं सबसे ऊपर तो नहीं।

खत में लिखूँ तो क्या लिखूँ, बस में दिल हमदम नहीं,
खाक ऐसी जिंदगी की तुम कहीं और हम कहीं।

शिकवा हमें मंजूर नहीं, न कोई बहाना होगा,
हमारी खुशिओं की खातिर आपको आना होगा।

हो न जाए खबर कहीं जमाने की हवाओं को,
छुपा के रखना सदा दिल में हमारी वफाओं को।

वो जब हमारे करीब आ बैठे,
सारी दुनिया हम भुला बैठे,
हो गयी दिल की सारी हसरतें पूरी,
खुद को हम उनपे लूटा बैठे।

क्या कहूँ कुछ कहा नहीं जाता,
चुप भी तो रहा नहीं जाता,
अब तो मिल जा ऐ सितमगर,
दर्दे जुदाई अब सहा नहीं जाता।

क्या कहूँ क्या है अपना हाल,
उनका है ख्याल खुद हूँ बेखयाल।

हज़ार हसीन को देखा मगर दिल को तुम्ही भाए,
दिल हो गया अब तेरा आशिक इसे अब कौन समझाये।




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