ज़िंदगी जिस दयार में गुज़री
इक तेरे इख़्तियार में गुज़री
उम्र जो इश्क़ में गुज़रनी थी
वो तेरे इंतज़ार में गुज़री!
उम्र-ए-दराज़ माँग के लाई थी चार दिन
दो आरज़ू में कट गए दो इंतिज़ार में
~ सीमाब अकबराबादी
वजह तक पूछने का.... मौका ही ना मिला!
बस लम्हे गुजरते गए.... हम अजनबी होते गए!
रोज़ कहता हूँ कि अब उन को न देखूँगा कभी
रोज़ उस कूचे में इक काम निकल आता है
#सीमाब_अकबराबादी
ग़म मुझे हसरत मुझे वहशत मुझे सौदा मुझे
एक दिल दे कर ख़ुदा ने दे दिया क्या क्या मुझे
है हुसूल-ए-आरज़ू का राज़ तर्क-ए-आरज़ू
मैं ने दुनिया छोड़ दी तो मिल गई दुनिया मुझे
देखते ही देखते दुनिया से मैं उठ जाऊँगा
देखती की देखती रह जाएगी दुनिया मुझे
★★★
सीमाब अकबराबादी
दिल की बिसात क्या थी निगाह-ए-जमाल में
इक आईना था टूट गया देख-भाल में
आज़ुर्दा इस क़दर हूँ सराब-ए-ख़याल से
जी चाहता है तुम भी न आओ ख़याल में
दुनिया है ख़्वाब हासिल-ए-दुनिया ख़याल है
इंसान ख़्वाब देख रहा है ख़याल में
★★★
सीमाब अकबराबादी
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