Thursday, March 12, 2020

वक़्त-वक़्त पर कहे जाने वाले बेहतरीन शेर

वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर 
आदत इस की भी आदमी सी है 
- गुलज़ार

उसी का शहर वही मुद्दई वही मुंसिफ़ 
हमें यक़ीं था हमारा क़ुसूर निकलेगा 
- अमीर क़ज़लबाश

या वो थे ख़फ़ा हम से या हम हैं ख़फ़ा उन से 
कल उन का ज़माना था आज अपना ज़माना है 
- जिगर मुरादाबादी

काँटों से गुज़र जाता हूँ दामन को बचा कर 
फूलों की सियासत से मैं बेगाना नहीं हूँ 
- शकील बदायुनी

कहानी में नए किरदार शामिल हो गए हैं 
नहीं मा'लूम अब किस ढब तमाशा ख़त्म होगा 
-इफ़्तिख़ार आरिफ़
नींद जब ख़्वाबों से प्यारी हो तो ऐसे अहद में 
ख़्वाब देखे कौन और ख़्वाबों को दे ता'बीर कौन 
-परवीन शाकिर

वो शख़्स कि मैं जिस से मोहब्बत नहीं करता 
हँसता है मुझे देख के नफ़रत नहीं करता 
-क़तील शिफ़ाई

खुला है झूट का बाज़ार आओ सच बोलें 
न हो बला से ख़रीदार आओ सच बोलें 
-क़तील शिफ़ाई
ये भी तो सोचिए कभी तन्हाई में ज़रा 
दुनिया से हम ने क्या लिया दुनिया को क्या दिया 
- हफ़ीज़ मेरठी

सारे पत्थर नहीं होते हैं मलामत का निशाँ 
वो भी पत्थर है जो मंज़िल का निशाँ देता है 
- परवेज़ अख़्तर

मत बैठ आशियाँ में परों को समेट कर 
कर हौसला कुशादा फ़ज़ा में उड़ान का 
- महफूजुर्रहमान आदिल
क़तरा न हो तो बहर न आए वजूद में 
पानी की एक बूँद समुंदर से कम नहीं 
- जुनैद हज़ीं लारी

किसी को बे-सबब शोहरत नहीं मिलती है ऐ 'वाहिद' 
उन्हीं के नाम हैं दुनिया में जिन के काम अच्छे हैं 
- वाहिद प्रेमी

इधर फ़लक को है ज़िद बिजलियाँ गिराने की 
उधर हमें भी है धुन आशियाँ बनाने की 
- अज्ञात
कपड़े सफ़ेद धो के जो पहने तो क्या हुआ 
धोना वही जो दिल की सियाही को धोइए 
- शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

मिरे नाख़ुदा न घबरा ये नज़र है अपनी अपनी 
तिरे सामने है तूफ़ाँ मिरे सामने किनारा 
- फ़ारूक़ बाँसपारी

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