Thursday, March 26, 2020

दुआ शायरी

ज़बाँ पे शिकवा-ए-बे-मेहरी-ए-ख़ुदा क्यूँ है?
दुआ तो माँगिये 'आतिश' कभी दुआ की तरह
- आतिश बहावलपुरी


यही दुआ है वो मेरी दुआ नहीं सुनता
ख़ुदा जो होता अगर क्या ख़ुदा नहीं सुनता
- सय्यदा अरशिया हक़

ये बस्तियाँ हैं कि मक़्तल दुआ किए जाएँ
दुआ के दिन हैं मुसलसल दुआ किए जाएँ
- इफ़्तिख़ार आरिफ़


दुआ करो कि ये पौधा सदा हरा ही लगे
उदासियों में भी चेहरा खिला खिला ही लगे
- बशीर बद्र

आते हैं बर्ग-ओ-बार दरख़्तों के जिस्म पर
तुम भी उठाओ हाथ कि मौसम दुआ का है
- असअ'द बदायुनी


भूल ही जाएं हम को ये तो न हो
लोग मेरे लिए दुआ न करें
- हसरत मोहानी

वो एक शख़्स कि मंज़िल भी रास्ता भी है
वही दुआ भी वही हासिल-ए-दुआ भी है
- अताउल हक़ क़ासमी


क्या क्या दुआएँ माँगते हैं सब मगर 'असर'
अपनी यही दुआ है कोई मुद्दआ न हो
- असर लखनवी

उठे हैं हाथ तो अपने करम की लाज बचा
वगरना मेरी दुआ क्या मिरी तलब क्या है
- सिद्दीक़ मुजीबी


हज़ार बार जो माँगा करो तो क्या हासिल
दुआ वही है जो दिल से कभी निकलती है
- दाग़ देहलवी

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