Diary Feb’ 1995
आज उनका है इंतज़ार बहुत,
दिल है सीने में बेकरार
बहुत,
जान कर अब हम न धोखा खाएँगे,
कर चुके तुमपे एतबार बहुत।
कितनी जालिम है तेरी ये गजाली आँखें,
मस्त कर देती है ये तेरी शराबी आँखें,
तेरे इंकार का मैं कैसे यकीन कर लूँ,
बाखुद प्यार में झुक जाती है तेरी आँखें,
डूब जाने दो मुझको झील सी गहराई में,
कितनी गहरी है तेरी रात सी काली आँखें।
वह कहकर आखिर मुकर गया,
दिल टुकड़े टुकड़े बिखड़ गया,
पर जब भी उसके हुस्न की बात चली,
तो चाँद का चेहरा उतर गया।
रहेगा चमन तो फूल खिलेंगे जरूर,
जिंदा रहे तो मिलेंगे जरूर।
काग चेष्टा, बको ध्यानम, स्वान निद्रा तथैव च,
अल्पाहारी, गृहत्यागी, विद्यार्थी पंच लक्षणम।
हमारा छोटा सा जी गाँव,
जिसमें रहते काले काँव,
करे वो तब-तब हम पर बीट,
जब हम सोवें पीपल छाँव।
वो जो गमजदा होते है क्या खाक जीते है,
बस आँसूओ को पीते है, जो
गमजदा होते हैं।
तुझे खो दिया हमने पाने के बाद,
तेरी याद आई तेरे जाने के बाद।
______ है उस कली का नाम,
जो मुझे देखकर शर्माती है,
जब भी आता हूँ उसके सामने,
मारे लाज शर्म के छुप जाती है।
फूल खिलते है बहारों का शमा होता है,
ऐसे ही मौसम में तो प्यार जवान होता है,
दिल की बात होठों से नहीं कहते,
ये फसाना तो नज़रों से बयान होता है।
अब तो हर गुल में चहकने लगे है हम,
आपने चाहा तो महकने लगे हैं हम,
जाने तेरी मद भरी आँखों ने क्या जादू किया,
की भरी महफिल में बहकने लगे हैं हम।
देव सदा देव तथा दनुज दनुज है,
जा सकता दोनों ओर, वो
मनुज है।
आएँगी बहारें तो तेरी ही फसाने सुनाएगी हमें,
आएगी तनहाई तो तेरे ही यादें रुलाएगी हमें।
जीवन के हर पल करता हूँ यही कामना,
तुम्हारा हर दिन हो केवल खुशियों से सामना।
जन्म दिन मुबारक हो दिल की गहराइयों से,
दूर रहो तुम गम की परछाइयों से।
होके मायूष न यूँ शाम से ढलते रहिए,
जिंदगी भोर है, सूरज से ढलते
रहिए।
हालात न बदले तो इस बात पे रोना।
हालात बदले तो बदले हालत पे रोना।
खत लिखते हैं उन्हे जो दूर रहते है,
आपको क्या लिखे आप तो दिल में रहते है।
आईना देखकर ये बोले सवरने वाले,
आज तो बेमौत मरेंगे हमपे मरने वाले।
कहीं ऐसा न हो कि कदम थर्रा जाएँ,
और तेरी संगमरमरी बाहों का सहारा न मिले,
कहीं ऐसा न हो कि अश्क बहते रहे रातों में,
और तेरी रेशमी आँचल का किनारा न मिले।
कुछ अलग ही रंग में रंगा आज ये दीवाना है,
आज मेरे फन का मकसद जंजीरें पिघलाना है,
आज मैं शबनम के बदले अंगारें बरसाऊंगा,
तुम परचम लहराना साथी मैं पर्वत पे गाऊँगा।
उन राहों को ढूँढता हूँ, जिन राहों से आया हूँ,
कितनी उम्मीदें लेकर आया था, कितनी नाउम्मीदी लाया हूँ।
दुनिया में इतने झंडे क्यों है,
और उन झंडे में डंडे क्यों है।
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