Monday, March 30, 2020

मशवरा शायरी

अपने मन में डूब कर पा जा सुराग़-ए-ज़ि़ंदगी 
तू अगर मेरा नहीं बनता न बन अपना तो बन 
- अल्लामा इक़बाल

बिछड़ने का इरादा है तो मुझ से मशवरा कर लो 
मोहब्बत में कोई भी फ़ैसला ज़ाती नहीं होता 
- अफ़ज़ल ख़ान

ऐ 'ज़ौक़' तकल्लुफ़ में है तकलीफ़ सरासर 
आराम में है वो जो तकल्लुफ़ नहीं करता 
- शेख़ इब्राहीम ज़ौक़

वतन की फ़िक्र कर नादाँ मुसीबत आने वाली है 
तिरी बर्बादियों के मशवरे हैं आसमानों में 
- अल्लामा इक़बाल
साया है कम खजूर के ऊँचे दरख़्त का 
उम्मीद बाँधिए न बड़े आदमी के साथ 
- कैफ़ भोपाली

हाँ समुंदर में उतर लेकिन उभरने की भी सोच 
डूबने से पहले गहराई का अंदाज़ा लगा 
- अर्श सिद्दीक़ी
ख़ुदा ने नेक सूरत दी तो सीखो नेक बातें भी 
बुरे होते हो अच्छे हो के ये क्या बद-ज़बानी है 
- अमीर मीनाई

इतना न अपने जामे से बाहर निकल के चल 
दुनिया है चल-चलाव का रस्ता सँभल के चल 
- बहादुर शाह ज़फ़र
इस से पहले कि लोग पहचानें 
ख़ुद को पहचान लो तो बेहतर है 
- दिवाकर राही

देख रह जाए न तू ख़्वाहिश के गुम्बद में असीर 
घर बनाता है तो सब से पहले दरवाज़ा लगा 
- अर्श सिद्दीक़ी

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