Friday, March 27, 2020

आत्मविश्वास शायरी

चला जाता हूँ हँसता खेलता मौज-ए-हवादिस से 
अगर आसानियाँ हों ज़िंदगी दुश्वार हो जाए 
- असग़र गोंडवी

चाहिए ख़ुद पे यक़ीन-ए-कामिल 
हौसला किस का बढ़ाता है कोई 
- शकील बदायुनी

रंज से ख़ूगर हुआ इंसाँ तो मिट जाता है रंज 
मुश्किलें मुझ पर पड़ीं इतनी कि आसाँ हो गईं 
- मिर्ज़ा ग़ालिब

इन अंधेरों से परे इस शब-ए-ग़म से आगे 
इक नई सुब्ह भी है शाम-ए-अलम से आगे 
- इशरत क़ादरी

साहिल के सुकूँ से किसे इंकार है लेकिन 
तूफ़ान से लड़ने में मज़ा और ही कुछ है 
- आल-ए-अहमद सूरूर
एक हो जाएँ तो बन सकते हैं ख़ुर्शीद-ए-मुबीं 
वर्ना इन बिखरे हुए तारों से क्या काम बने 
- अबुल मुजाहिद ज़ाहिद

हार हो जाती है जब मान लिया जाता है 
जीत तब होती है जब ठान लिया जाता है 
- शकील आज़मी
दुश्मनी का सफ़र इक क़दम दो क़दम 
तुम भी थक जाओगे हम भी थक जाएँगे 
- बशीर बद्र

इतना सच बोल कि होंटों का तबस्सुम न बुझे 
रौशनी ख़त्म न कर आगे अँधेरा होगा 
- निदा फ़ाज़ली
चराग़-ए-राहगुज़र लाख ताबनाक सही 
जला के अपना दिया रौशनी मकान में ला 
- अकबर हैदराबादी

तदबीर के दस्त-ए-रंगीं से तक़दीर दरख़्शाँ होती है 
क़ुदरत भी मदद फ़रमाती है जब कोशिश-ए-इंसाँ होती है 
- हफ़ीज़ बनारसी

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