Wednesday, March 11, 2020

काश ये लम्हें ठहर जायें ठहर जायें ज़रा .....

सुर्ख़ होंठों पर शरारत के किसी लम्हें का अक्स 
रेशमीं बाहों में चूड़ी की कभी मद्धम धनक 

शर्मगीं लहजों में धीरे से कभी चाहत की बात 
दो दिलों की धड़कनों में गूँजती थी एक सदा 

काँपते होंठों पे थी अल्लाह से सिर्फ़ एक दुआ 
काश ये लम्हें ठहर जायें ठहर जायें ज़रा .....

~परवीन शाक़िर

No comments: