सोचने वाला दिल तो बैठा सोचा करता है
-अकबर हैदराबादी
हिम्मत है तो बुलंद कर आवाज़ का अलम
चुप बैठने से हल नहीं होने का मसअला
- ज़िया जालंधरी
हार हो जाती है जब मान लिया जाता है
जीत तब होती है जब ठान लिया जाता है
- शकील आज़मी
नहीं तेरा नशेमन क़स्र-ए-सुल्तानी के गुम्बद पर
तू शाहीं है बसेरा कर पहाड़ों की चटानों में
- अल्लामा इक़बाल
वाक़िफ़ कहाँ ज़माना हमारी उड़ान से
वो और थे जो हार गए आसमान से
- फ़हीम जोगापुरी
लोग जिस हाल में मरने की दुआ करते हैं
मैं ने उस हाल में जीने की क़सम खाई है
- अमीर क़ज़लबाश
साहिल के सुकूँ से किसे इंकार है लेकिन
तूफ़ान से लड़ने में मज़ा और ही कुछ है
- आल-ए-अहमद सूरूर
कठिन है काम तो हिम्मत से काम ले ऐ दिल
बिगाड़ काम न मुश्किल समझ के मुश्किल को
- वहशत रज़ा अली कलकत्वी
देख ज़िंदाँ से परे रंग-ए-चमन जोश-ए-बहार
रक़्स करना है तो फिर पाँव की ज़ंजीर न देख
- मजरूह सुल्तानपुरी
ज़रा दरिया की तह तक तो पहुँच जाने की हिम्मत कर
तो फिर ऐ डूबने वाले किनारा ही किनारा है
- बासित भोपाली
उसे गुमाँ है कि मेरी उड़ान कुछ कम है
मुझे यक़ीं है कि ये आसमान कुछ कम है
- नफ़स अम्बालवी
वक़्त की गर्दिशों का ग़म न करो
हौसले मुश्किलों में पलते हैं
- महफूजुर्रहमान आदिल
सिवाए मेरे किसी को जलने का होश कब था
चराग़ की लौ बुलंद थी और रात कम थी
- मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
अपनी ही रवानी में बहता नज़र आता है
ये शहर बुलंदी से दरिया नज़र आता है
- इनाम नदीम
हाँ आसमान अपनी बुलंदी से होशियार
अब सर उठा रहे हैं किसी आस्ताँ से हम
- जोश मलीहाबादी
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