इश्क़ इन ज़ालिमों की दुनिया में
कितनी मज़लूम ज़ात है ऐ दिल
इस तरह होश गँवाना भी कोई बात नहीं
और यूँ होश से रहने में भी नादानी है
शीशों के मकां कैसे हैं
कोई इस देश का मिल जाए तो इतना पूछे
आजकल अपने मसीहा-नफ़सां कैसे हैं
आंधियां तो सुना इधर भी आयी
कोपलें कैसी हैं शीशों के मकां कैसे हैं
नीली नीली आंखें जैसे जमुनाजी का घाट
कई समंदर पार से आयी गोरी पिया के देस
रूप विदेसी लेकिन जीवन पूरब का संदेस
लम्बी लम्बी पलकें जिनमे तलवारों की काट
नीली नीली आंखें जैसे जमुनाजी का घाट
तमाम शहर ने पहने हुए हैं दस्ताने
मैं किस के हाथ पे अपना लहू तलाश करूँ
तमाम शहर ने पहने हुए हैं दस्ताने
दिल के रिश्ते अजीब रिश्ते हैं
साँस लेने से टूट जाते हैं
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