Saturday, March 14, 2020

कैसे मुझको भुला पाओगे

कभी तन्हाँ खामोश बैठोगे कभी मरस्थली आंखों से रो रो कर आंसू बहाओगे
रूह में उतर गया तेरे बेइंतहा मेरा इश्के दर्द का जहर अब कैसे मुझको भुला पाओगे

पूछेगा जब अपना तेरा कोई सबब हसीन सूरते हालात बदलने का
यकीनन उल्फत की वो गुजरी दास्ता मुस्कुरा मुस्करा कर भी खुद से ना छिपा पाओगे

अजीब सी चाहत होगी तेरी जिंदगी में जिंदा रह कर बार-बार जीने मरने की
एक तरफा होता नहीं है प्यार यह बात बावफा दिल के मेरे टुकड़े देखकर समझ जाओगे

तेरे तसव्वुर में होगी तस्वीरें यार जज्बातों में होगा उठते इश्के समुद्र का तूफान
थरथराते होठों से चाह कर भी मेरे नाम की चीखती सदा को न रोक पाओगे

हजारों खामियां नजर आती हैं मेरी इश्क दास्तान में यह माना मैने
सोचता हूं मुझे भूल जाने को एहसास ए मोहब्बत के चंद लम्हों की यादें कैसे जुदा कर पाओगे

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