Sunday, March 29, 2020

कितना गहरा तम हो पर तुम शमा जलाए चलना रे

ऐ शमा तेरी उम्र-ए-तबीई है एक रात
हंस कर गुज़ार या इसे रो कर गुज़ार दे
- शेख़ इब्राहीम ज़ौक़


मैं ढूंढ़ रहा हूं मिरी वो शमा कहां है
जो बज़्म की हर चीज़ को परवाना बना दे
- बहज़ाद लखनवी

परवाने आ ही जाएंगे खिंच कर ब-जब्र-ए-इश्क़
महफ़िल में सिर्फ़ शमा जलाने की देर है
- माहिर-उल क़ादरी


देख लेते हैं अंधेरे में भी रस्ता अपना
शमा एहसास के मानिंद जली रहती है
- ज़फर इमाम

तुम्हारी याद बढ़ी और दिल हुआ रौशन
ये एक शमा अँधेरे ने ख़ुद जला ली है
- ताजदार आदिल


दिन अंधेरों की तलब में गुज़रा
रात को शम्अ जला दी हम ने
- ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

दोस्ती बंदगी वफ़ा-ओ-ख़ुलूस
हम ये शमा जलाना भूल गए
- अंजुम लुधियानवी


रात भर शमा जलाता हूं बुझाता हूं 'सिराज'
बैठे बैठे यही शग़्ल-ए-शब-ए-तन्हाई है
- सिराज लखनवी

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