Friday, May 1, 2020

अज़ीज़ की 'यादों' पर शायरी

ये हिजरतें हैं ज़मीन ओ ज़माँ से आगे की 
जो जा चुका है उसे लौट कर नहीं आना 
- आफ़ताब इक़बाल शमीम

एक रौशन दिमाग़ था न रहा 
शहर में इक चराग़ था न रहा 
- अल्ताफ़ हुसैन हाली

तुम्हारी याद के जब ज़ख़्म भरने लगते हैं 
किसी बहाने तुम्हें याद करने लगते हैं 
- फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

जाने वाले कभी नहीं आते 
जाने वालों की याद आती है 
- सिकंदर अली वज्द

वे सूरतें इलाही किस मुल्क बस्तियाँ हैं 
अब देखने को जिन के आँखें तरसतियाँ हैं 
- मोहम्मद रफ़ी सौदा

दिल धड़कने का सबब याद आया 
वो तिरी याद थी अब याद आया 
- नासिर काज़मी
इस ज़िंदगी में इतनी फ़राग़त किसे नसीब 
इतना न याद आ कि तुझे भूल जाएँ हम 
- अहमद फ़राज़

आप के बा'द हर घड़ी हम ने 
आप के साथ ही गुज़ारी है 
- गुलज़ार
सोचता हूँ कि उस की याद आख़िर 
अब किसे रात भर जगाती है 
- जौन एलिया

याद उस की इतनी ख़ूब नहीं 'मीर' बाज़ आ 
नादान फिर वो जी से भुलाया न जाएगा 
- मीर तक़ी मीर
जाते जाते आप इतना काम तो कीजे मिरा 
याद का सारा सर-ओ-सामाँ जलाते जाइए 
- जौन एलिया

जिस को तुम भूल गए याद करे कौन उस को 
जिस को तुम याद हो वो और किसे याद करे 
- जोश मलसियानी
उन का ज़िक्र उन की तमन्ना उन की याद 
वक़्त कितना क़ीमती है आज कल 
- शकील बदायुनी

आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा 
आज फिर याद कोई चोट पुरानी आई 
- इक़बाल अशहर

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