जब भी उनको करीब देखा है
पहले अपना नसीब देखा है।
पिसा जो मकसदों की चक्की में
सबसे ज्यादा गरीब देखा है।
कहा उसने की ग़ज़ल पूरी है
काफिया न रदीफ़ देखा है
आग में झोंक पूरी बस्ती को
दूर बैठा शरीफ देखा है
शफा न कर सका दवाओं से
हमने सालों तबीब देखा है
न वो बोला न उसके हाथ हिले
यूँ भी जाता हबीब देखा है।
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