Saturday, June 17, 2023

देर से दूर से ये कौन बुलाता है मुझे

दिल में रखता है न पलकों पे बिठाता है मुझे 

फिर भी इक शख़्स में क्या क्या नज़र आता है मुझे 

रात का वक़्त है सूरज है मिरा राह-नुमा 
देर से दूर से ये कौन बुलाता है मुझे 

मेरी इन आँखों को ख़्वाबों से पशेमानी है 
नींद के नाम से जो हौल सा आता है मुझे 
तेरा मुंकिर नहीं ऐ वक़्त मगर देखना है 
बिछड़े लोगों से कहाँ कैसे मिलाता है मुझे 

क़िस्सा-ए-दर्द में ये बात कहाँ से आई 
मैं बहुत हँसता हूँ जब कोई सुनाता है मुझे 




Shahryar

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