Wednesday, June 7, 2023

गोपालदास नीरज के चार विचार

एक 

जो पुण्य करता है वह देवता बन जाता है 
जो पाप करता है वह पशु बन जाता है 
और जो प्रेम करता है वह आदमी बन जाता है 

दो

जब मैंने प्रेम किया तो मुझे लगा जीवन आकर्षण है, 
जब मैंने भक्ति की तब मुझे लगा जीवन समर्पण है 
किन्तु जब मैंने सेवाव्रत लिया तब 
मुझे पता चला कि जीवन सबसे पहले सर्जन है। 

तीन

जब मैं बैठा था तो समझता था कि जीवन उपस्थिति है, 
जब मैं खड़ा था तब समझता था कि जीवन स्थिति है, 
किन्तु जब मैं चलने लगा तब लगने लगा, 'जीवन गति है।' 

चार

जब तक मैं पुकारता रहा तब तक समझता 
रहा कि जीवन तुम्हारी आवाज़ है
और जब मैं स्वयं को पुकारने लगा तो 
कहने लगा जीवन अपनी ही आवाज़ है 
किन्तु जिस दिन मैंने संसार को पुकारना 
शुरु किया है उस दिन से मुझे 
लगने लगा है कि जीवन मेरी और तुम्हारी 
नहीं, उन सबकी आवाज़ है जिनकी कि
कोई आवाज़ ही नहीं है। 


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