दिल में तेरी याद की तहरीर मिटा न सका कभी
और दिल में जो बसी थी तेरी सूरत उसे मिटा न सका कभी
बेकरारी ऐसी कि दिल में तुझे ला के मैं हर रोज तेरे दीदार को तरसता रहा फिर भी तुझे भुला न सका कभी
दिल में बस के बगैर बताए तुम अचानक नज़रों से दूर क्यूं हुए तेरे जाने पे गम ए जुदाई भुला न सका कभी
सितम ये कि मेरे दिल में बस के मुझसे दूर हो गए मैं दर दर ठोकरें खाकर भी याद तेरी मिटा न सका कभी
तड़पते दिल की तमन्ना पे ऐतबार कर अच्छा न किया मैंने करूं क्या वादा ए उल्फत तू निभा न सका कभी
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