साथ तुम्हे मेरा गवारा नहीं,
मेरा तुम बिन गुज़ारा नहीं,
लाख रोको, पर इस दिल पे
जरा सख्तियाँ चलती नहीं
चलते रहता तेरे
कदमों के निशां के पीछे पीछे,
मालूम है, तुम मुड़ के भी न देखोगे,
तो ये डोर बंधी है तुम से
फिर क्यूं टूटती नहीं......
मेरा, तुम्हें देख देख के भी दिल नहीं भरता
तुम्हारा, मुझे देखने को भी दिल नहीं करता,
तो लुका छुपी के ये लत क्यूं छुटती नही.. ।
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