Wednesday, June 7, 2023

मेरी ज़िन्दगी का आखिरी सहारा तुम हो

मेरी ज़िन्दगी का आखिरी सहारा तुम हो। 

गुलिस्तां - ए- मोहब्बत का नज़ारा तुम हो।। 

आसमां में चमकता चांद कह रहा है यही। 
चांदनी तुम हो मौसम - ए- बहारां तुम हो।। 

फूल भी देख रहे हैं तुमको निगाहे-अचरज से। 
कुदरत का सबसे हसीन नज़ारा तुम हो।। 

तुम न होते तो जाने कब का मर गया होता। 
मेरे जीने का सबब जीने का इशारा तुम हो।। 

हासिल नहीं हुआ कुछ भी ख़ुदग़र्ज़ जमाने से। 
दरिया-ए-मोहब्बत का आखिरी किनारा तुम हो।। 

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