मेरी ज़िन्दगी का आखिरी सहारा तुम हो।
गुलिस्तां - ए- मोहब्बत का नज़ारा तुम हो।।
आसमां में चमकता चांद कह रहा है यही।
चांदनी तुम हो मौसम - ए- बहारां तुम हो।।
फूल भी देख रहे हैं तुमको निगाहे-अचरज से।
कुदरत का सबसे हसीन नज़ारा तुम हो।।
तुम न होते तो जाने कब का मर गया होता।
मेरे जीने का सबब जीने का इशारा तुम हो।।
हासिल नहीं हुआ कुछ भी ख़ुदग़र्ज़ जमाने से।
दरिया-ए-मोहब्बत का आखिरी किनारा तुम हो।।
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