इस से पहले कि बिछड़ जाएँ हम
दो-क़दम और मिरे साथ चलो
अभी देखा नहीं जी-भर के तुम्हें
अभी कुछ देर मिरे पास रहो
मुझ सा फिर कोई न आएगा यहाँ
रोक लो मुझ को अगर रोक सको
यूँ न गुज़रेगी शब-ए-ग़म 'नासिर'
उस की आँखों की कहानी छेड़ो
आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
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