Monday, June 26, 2023

वो राहें जिनसे हम अनजान थे

उसके मुताबिक हम ढलते कैसे।

इस कदर गिरकर संभलते कैसे।। 

वो राहें जिनसे हम अनजान थे। 
उन पर हम यूं तन्हा चलते कैसे।। 

वक्त रहते वाबस्ता हो जाते, गर। 
ये अंधेरों के झुरमुट खलते कैसे।। 

हमारे दरम्यां ये कुरबत ना होती। 
इन आँखों में अरमां पलते कैसे।। 

मुकद्दर में ही गर, उजाले ना हों। 
बता,फिर ये चिराग जलते कैसे।। 

उसूलों के पाबंद ना होते अगर। 
जमाने में लोग हमे छलते कैसे।। 

No comments: