Tuesday, June 13, 2023

उदासियों की चादर ओढ़िए नहीं देर तक

ज़िन्दगी में रोज़गार खोयिए नहीं देर तक,

निंदिया भी आए तो सोयिए नहीं देर तक। 

तन्हाई छीन लेती है भविष्य ज़िन्दगी का, 
उदासियों की चादर ओढ़िए नहीं देर तक। 

मुख़्तसर कह दीजिए हालात ज़िन्दगी के, 
बस चार दिन की है बोलिए नहीं देर तक। 

निकल ना जाए होली का खुशनुमा मुहूर्त, 
तुम रंग को पानी में घोलिए नहीं देर तक। 

सुनने वाले कहीं महफ़िल ना छोड़ जाएं, 
बात मन की मन में तोलिए नहीं देर तक। 

तुम्हारे जुमले हो जाएंगे प्रचार का सबब, 
कहीं बैठकर उन्हें कोसिए नहीं देर तक। 

ज़फ़र बदनाम करने को ज़माना बहुत है, 
अपना राज़ मुंह से खोलिए नहीं देर तक। 

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